जिलाधिकारी कलेक्ट्रेट सभागार में जिला परामर्शदात्री समिति एवं पुनरीक्षण समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बीते जुलाई 19 में योजना के संबंध में नाबार्ड द्वारा कार्यशाला आयोजित कर जानकारी दी गई थी जिसमें सभी बैंक के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था परंतु फिर भी किसी बैंक द्वारा किसी योजना में कोई ऋण नहीं दिया गया। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) द्वारा निर्धन एवं बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इनका पंजीकरण सेवायोजन के पोर्टल पर कराया जाएगा ताकि रोजगार मेले में वह इंटरव्यू देकर नौकरी पा सकें। जिलाधिकारी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा आरसेटी द्वारा संयुक्त कार्यशाला आयोजित करने का निर्देश दिया था परंतु ढाई माह बीतने के बाद भी कोई कार्यशाला आयोजित नहीं की गई। इसको लेकर भी डीएम ने नाराजगी जताई। कहा 3 दिन में कार्यशाला आयोजित की जाए। समीक्षा में पाया कि वार्षिक ऋण योजना में 241309 लाख के सापेक्ष 131096 लाख रुपये की उपलब्धि रही जो 54 फीसद है। जिलाधिकारी ने कहा ऋण आवेदन पत्र जो निरस्त किए गए हैं,बैंक एवं विभागीय अधिकारी की संयुक्त टीम द्वारा जांच की जाएगी।
ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि दोना-पत्तल एवं अन्य डेढ़-दो लाख की यूनिट से भी पर्यावरण का अनापत्ति प्रमाण पत्र बैंक द्वारा मांगा जा रहा है जो कि आवश्यक नहीं है। जिलाधिकारी ने ऐसे प्रकरणों की सूची मांगी।
सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका, एडीएम रमेश चंद्र, विधायक प्रतिनिधि राजेश कुमार सिंह, हरीश सिंह, आरबीआई से गुरुप्रसाद, पूर्वांचल बैंक के राजेंद्र सिंह, डीडीओे अजीत श्रीवास्तव एनआरएलएम के रामदुलार, संदीप वर्मा, उदय प्रकाश,डा.अश्वनी तिवारी, सुखबीर सिंह, संजय श्रीवास्तव, एके सिंह तथा विभिन्न बैंक के प्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।