राज्यों की सरकारें निजामुद्दीन स्थित जलसे में शामिल हुए लोगों की तलाश में जुटी
तब्लीगी जमात की करतूत की वजह से अब पूरा देश कोरोना का खतरा झेल रहा है
जोड़ (जलसे) में 20 राज्यों के 15 हजार से अधिक लोग शामिल हुए इनमें कई कोरोना पॉजिटिव भी थे
घटनाक्रम के बाद मरकज प्रशासन खुद को पाक-साफ बताने में जुटा
ये लोग अपने राज्य लौटे और देशभर में बीमारी का प्रसार कर दिया" alt="" aria-hidden="true" />
देश में कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम में हजारों लोग शिरकत करने पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तकरीबन दो दर्जन से अधिक लोगों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया है। यही नहीं कई लोग जो इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे, उनकी मौत हो गई है। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कई लोग देश के अलग-अलग राज्यों में वापस लौट गए हैं, जिसके बाद संक्रमण का खतरा अब और बढ़ गया है। वहीं इस पूरे मामले पर अब राजनीति तेज हो गई है। सरकार, पुलिस, प्रशासन और आयोजक एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
जमात में शामिल 33 लोगों में से 24 के सैंपल कोरोना पॉजिटिव" alt="" aria-hidden="true" />
जमात में शामिल 33 लोगों में से 24 के सैंपल कोरोना पॉजिटिव आया है। सबसे बड़ी बात ये है कि मरकज में आ चुके 10 लोग कोरोना के मरीज बन गए और उन्होंने दम तोड़ दिया, जिनमें से अकेले तेलंगाना के 6 लोग शामिल हैं। जबकि, जमात में शामिल हुआ फिलीपींस का एक नागरिक भी पहले ही दम तोड़ चुका है।
अहम बात यह है कि पूरे देश में कोरोना के संक्रमण के चलते लोग अपने सार्वजनिक कार्यक्रम को रद्द कर रहे थे। यहां तक कि 10 मार्च को होली के त्योहार को भी नहीं मनाने की अपील की गई। लेकिन बावजूद इसके जमात के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हजारों की संख्या में लोग यहां तक 24 मार्च को जब पुलिस ने नोटिस भेजा, उसके पहले मरकज की ओर से भीड़ को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। केजरीवाल सरकार ने 16 मार्च को 20 से अधिक लोगों के एक जगह पर इकट्ठा हुए होने पर पाबंदी लगाई थी। यही नहीं 21 मार्च को 5 लोगों से अधिक के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई थी। बावजूद इसके आयोजकों ने भीड़ को खत्म करने के लिए प्रशासन से संपर्क नहीं किया।" alt="" aria-hidden="true" />
दुनिया भर में इस जमात के करीब 15 करोड़ सदस्य
दरअसल तबलीगी जमात की स्थापना एक बड़े धार्मिक आंदोलन के लिए की गई थी। दुनिया के 213 देशों में इस जमात के लोग बताए जाते हैं, जो समय-समय पर इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए दुनियाभर का रुख करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में इस जमात के करीब 15 करोड़ सदस्य हैं, जिनमें पाकिस्तानी क्रिकेटर सईद अनवर जैसे लोग भी शामिल हैं। इस जमात में शामिल हुए कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। जबकि कई लोगों की मौत भी हो गई है।
20 राज्यों के 15 हजार से अधिक लोग शामिल इसमें दक्षिण के साथ ही उत्तर भारतीय राज्यों के लोग
हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में आयोजित जोड़ (जलसे) में 20 राज्यों के 15 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। इस भीड़ में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी थे। सूत्रों का कहना है कि इनमें कई कोरोना पॉजिटिव भी थे, जिन्होंने वहां आए लोगों को संक्रमित किया। ये लोग अपने राज्य लौटे और देशभर में बीमारी का प्रसार कर दिया। तब्लीगी जमात की करतूत की वजह से अब पूरा देश कोरोना का खतरा झेल रहा है। विभिन्न राज्यों की सरकारें निजामुद्दीन स्थित जलसे में शामिल हुए लोगों की तलाश में जुटी हैं। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार इस जलसे में शामिल स्थानीय लोगों की भी तलाश करा रही है। पूरे घटनाक्रम के बाद मरकज प्रशासन खुद को पाक-साफ बताने में जुटा है। देश में कोरोना का खतरा मंडराने पर दिल्ली सरकार ने पहले एक स्थान पर 50 से अधिक और इसके बाद 5 लोगों के जुटने पर पाबंदी लगाई थी। मरकज प्रशासन ने भारत सरकार के आदेशों की पूरी तरह अनदेखी की और 15 से 17 मार्च तक दक्षिण भारतीय राज्यों का जलसा आयोजित किया। इसमें दक्षिण के साथ ही उत्तर भारतीय राज्यों के लोग भी थे।
यहां 20 राज्यों के 15 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे। जनता कर्फ्यू से पूर्व ज्यादातर लोग अपने-अपने घर लौट गए। प्रधानमंत्री ने कोरोना की वजह से देश को 21 दिन के लिए लॉकडाउन किया तो मरकज की ओर से दावा किया गया कि यहां एक हजार लोग फंस गए हैं। प्रशासन ने लोगों को यहां से निकालना शुरू किया तो बुधवार सुबह तक 2300 से अधिक लोग निकाले जा चुके थे। इनमें से 500 से अधिक की तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
मरकज प्रशासन के कारण ही कोरोना संदिग्ध लगभग पूरे देश में पहुंच गए
यह पूरी तरह साफ है कि मरकज प्रशासन के कारण ही कोरोना संदिग्ध लगभग पूरे देश में पहुंच गए। बता दें कि पूरे साल मरकज में रोज 7 से 8 हजार लोग मौजूद रहते हैं। जोड़ या मशवरे के दौरान इनकी तादाद 12-13 हजार या उससे भी ज्यादा हो जाती है। हर बृहस्पतिवार को मौलाना साद या अन्य मौलानाओं के बयान सुनने के लिए दिल्ली-एनसीआर से बड़ी संख्या में लोग मरकज में जमा होते हैं।
जेएनयू के कुछ छात्रों ने मरकज के पक्ष में जारी किया पोस्टर
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के कुछ छात्र देशभर में कोरोना वायरस पहुंचाने की वजह बने तब्लीगी जमात के मरकज के साथ खड़े दिखे। जेएनयू के छात्रों ने मरकज के समर्थन में पोस्टर जारी कर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। इन छात्रों का आरोप है कि मरकज की जानकारी पुलिस को पहले से थी। इसके बावजूद पुलिस मरकज को दोषी क्यों ठहरा रही है।